Fortune is Mysterious and Unpredictable is the thirty-first chapter of Usogui and the eleventh chapter of Volume 3.
Characters[]
Summary[]
With Samemaru wondering just how Kaji had such strong cards, he gets ready to inform Nowa that Kaji was cheating, though he quickly realises he'd only end up revealing his own cheating. Stumped, it slowly dawns upon Samemaru that he had fallen into Kaji's trap and he had no way of winning. Seeing no other way, he folds and has to ends up losing a grand total of over ¥38million. Only able to pay up ¥33million and being ¥5million short, Nowa nonchalantly informs Samemaru that he'd have to pay with his life as his syndicate had abandoned him too. At the behest of Nowa, Chris Lee then easily subdues Samemaru and prepares to do the same with Magoroku until Marco steps in...
Chapter Notes[]
Trivia[]
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Volume 1 | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | |
Volume 2 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | |
Volume 3 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | |
Volume 4 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | |
Volume 5 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | |
Volume 6 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | |
Volume 7 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | |
Volume 8 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | |
Volume 9 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | |
Volume 10 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | |
Volume 11 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | |
Volume 12 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | |
Volume 13 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | |
Volume 14 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | |
Volume 15 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | |
Volume 16 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | |
Volume 17 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | |
Volume 18 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | |
Volume 19 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | |
Volume 20 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213 | 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | |
Volume 21 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | |
Volume 22 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237 | 238 | 239 | 240 | 241 | |
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Volume 24 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | |
Volume 25 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | |
Volume 26 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | |
Volume 27 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | |
Volume 28 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | |
Volume 29 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | |
Volume 30 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | |
Volume 31 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | |
Volume 32 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | |
Volume 33 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | |
Volume 34 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | |
Volume 35 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | |
Volume 36 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | |
Volume 37 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | |
Volume 38 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | |
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Volume 40 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | |
Volume 41 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | |
Volume 42 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | |
Volume 43 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | |
Volume 44 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | |
Volume 45 | 484 | 485 | 486: Referee Kadokura | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | |
Volume 46 | align="center" style="font-size:90%;" |